कर दे बरसा सुख की धन की, दुख दूर करो प्रभु हो जन के।। कर दे बरसा सुख की धन की, दुख दूर करो प्रभु हो जन के।।
कुमार कार्तिकेय को स्वामीनाथ बोलकर सम्बोधन किया। कुमार कार्तिकेय को स्वामीनाथ बोलकर सम्बोधन किया।
जय जय श्री गणेश जी, जय जय श्री पार्वती नंदन। जय जय श्री गणेश जी, जय जय श्री पार्वती नंदन।
वृत्यनुप्रास अलंकार के ध्येय से रचित गीतिका। वृत्यनुप्रास अलंकार के ध्येय से रचित गीतिका।
थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, झूम रहा था म थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, ...
ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया चैन है, नीं ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया...